Monday, March 10, 2014

ओ३म् "ॐ" या ओंकार, OM, AUM, ONKAR

ओ३म् "ॐ" या ओंकार, OM, AUM, ONKAR


अक्षरका अर्थ जिसका कभी क्षरण न हो । ऐसे तीन अक्षरों— अ उ और म से मिलकर बना है ॐ। माना जाता है कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्डसे सदा ॐ की ध्वनी निसृत होती रहती है। हमारी और आपके हर श्वास से ॐ की ही ध्वनि निकलती है । यही हमारे-आपके श्वास की गति को नियंत्रित करता है । माना गया है कि अत्यन्त पवित्र और शक्तिशाली है ॐ । किसी भी मंत्र से पहले यदि ॐ जोड़ दिया जाए तो वह पूर्णतया शुद्ध और शक्ति-सम्पन्न हो जाता है । किसी देवी-देवता, ग्रह या ईश्वर के मंत्रों के पहले ॐ लगाना आवश्यक होता है, जैसे, श्रीराम का मंत्र — ॐ रामाय नमः, विष्णु का मंत्र — ॐ विष्णवे नमः, शिव का मंत्र — ॐ नमः शिवाय, प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि ॐ से रहित कोई मंत्र फलदायी नही होता , चाहे उसका कितना भी जाप हो। मंत्र के रूप में मात्र ॐ भी पर्याप्त है। माना जाता है कि एक बार ॐ का जाप हज़ार बार किसी मंत्र के जाप से महत्वपूर्ण है । ॐ का दूसरा नाम प्रणव ( परमेश्वर ) है। "तस्य वाचकः प्रणवः" अर्थात् उस परमेश्वर का वाचक प्रणव है। इस तरह प्रणव अथवा ॐ एवं ब्रह्म में कोई भेद नहीं है। ॐ अक्षर है इसका क्षरण अथवा विनाश नहीं होता ।

ओ ओंकार आदि मैं जाना ।


लिखि औ मेटें ताहि ना माना ।।


ओ ओंकार लिखे जो कोई ।


सोई लिखि मेटणा न होई ।।


गुरु नानक देव जी ने ॐ के महत्वको प्रतिपादित करते हुए लिखा है —


"ओम सतनाम कर्ता पुरुष निभौं निर्वेर अकालमूर्त"


यानी ॐ सत्यनाम जपनेवाला पुरुष निर्भय, बैर-रहित एवं "अकाल-पुरुष के" सदृश हो जाता है ।


"ॐ" ब्रह्माण्ड का नाद है एवं मनुष्य के अन्तर में स्थित ईश्वर का प्रतीक । 

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